Bihar Board 10th Result 2020
Bihar Board 12th Result 2020
राज्य में घोषित मैट्रिक के रिजल्ट से यह एक अच्छी बात यह देखी गई कि एक और जहां नामी-गिरानी स्कूल पिछड़ गए, वहीं, गांवों और सुदूर इलाकों के स्कूलों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। जानकार इसे बिहार के गांवों में शिक्षा के प्रति आ रहे सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। जहां प्रदेश के गांव-गरीब के बच्चों का परचम बुलंद किया है, वहीं पुराने और बेहतर रिजल्ट के लिए ख्यात स्कूलों का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा। शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने कहा कि मैट्रिक का रिजल्ट संकेत दे रहा है कि देहाती क्षेत्रों में किस तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हुए कार्यों से ग्रामीण परिवेश बदला है।
उनका मानना है कि गांव-गरीब के बच्चों के टॉप करने में स्मार्ट क्लास की उन्नयन योजना और पदाधिकारियों द्वारा लगातार स्कूलों का निरीक्षण बड़ा कारक बना है। इन दोनों ही चीजों से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर ऊंचा हुआ है। दरअसल पहले से स्थापित स्कूलों का प्रदर्शन औसत रहा, लेकिन ग्रामीण स्कूलों का बेहतर हो गया है। वैसे ख्यात स्कूलों के लचर प्रदर्शन की वजह तलाशी जाएगी। कारणों को दूर करने की कोशिश होगी। शिक्षा विभाग इसकी विस्तृत समीक्षा करेगा।
शिक्षाविद् प्रो. डीएम दिवाकर ने मैट्रिक परिणाम को बदलते सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का वाहक बताया। कहा कि गांव के गरीब गुरबों के बीच जागरूकता बढ़ी है। लोग समझ गये हैं कि शिक्षा के माध्यम से ही हम अपने बच्चों का भविष्य बदल सकते हैं। इसलिए लोग खेत बेचकर, गहना-जेवर बेचकर, आधा पेट खाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ऐसा रिजल्ट शिक्षकों या स्कूलों की वजह से नहीं बल्कि ग्रामीण बच्चों की मेहनत और उनके अभिभावकों की तत्परता से हुआ है। दरअसल पुराने और बड़े स्कूल उपेक्षित हुए हैं। वहां अच्छे शिक्षकों का लॉट समाप्त हो गया। सार्वजनिक शिक्षा व्यवस्था के ध्वस्त होने का एक तरह का यह संकेत है। ऐसे स्कूलों को सुधारना है तो बेहतर शिक्षक चुनना होगा। जिन बच्चों ने बढ़िया किया, वे अपने अधिक्रम से आगे बढ़े हैं।
इन स्कूलों का वर्चस्व टूटा
पटना हाईस्कूल, मिलर स्कूल, टीके घोष एकेडमी, पटना कालेजियएट स्कूल, पाटलिपुत्रा स्कूल, वाट्सन हाईस्कूल मधुबनी, एमएल एकेडमी लहेरिया सराय, जिला स्कूल पूर्णिया, संत जेवियर हाईस्कूल, राम मोहन राय सेमिनरी जैसे लब्ध प्रतिष्ठित स्कूलों का मैट्रिक टापरों की सूची में वर्चस्व कम होने से पुराने शिक्षकों की चिंता बढ़ गयी है। वे इसे संस्थागत क्षरण के रूप में देख रहे हैं। हालांकि स्कू ल प्रबंधन भी स्थिति में बदलाव के लिए आत्मंथन करने की बात कह रहा है।
बेहतरी को सलाह ’ माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति कमीशन से की जाए ’ शिक्षकों की गुणवत्ता पर सरकार विशेष ध्यान दे ’ लाभुक योजनाओं का पैसा भेजने से ज्यादा पढ़ाने पर फोकस हो ’ परीक्षा में आब्जेक्टिब पर ज्यादा जोर बच्चों के संप्रेषण को क्षीण करेगा ’ जिला स्कूलों के पुराने सफल प्रैक्टिसेस फिर से दुहराए जाएं।
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